“शहबाज़ शरीफ़ बोले: रोशनी सबके लिए हो – धर्म देखो मत, दिल जलाओ!”

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

दिवाली के अवसर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने देश और दुनियाभर के हिंदू समुदाय को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर एक मार्मिक संदेश पोस्ट कर शांति, सौहार्द और साझा समृद्धि की कामना की।

“जैसे घर और दिल दिवाली की रोशनी से जगमगाते हैं, मेरी प्रार्थना है कि यह त्योहार अंधेरे को दूर करे और आपसी भाईचारे को बढ़ाए।”

सिर्फ पाकिस्तान नहीं, पूरी दुनिया के लिए संदेश

शहबाज़ शरीफ़ का ये संदेश सिर्फ पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू समुदाय तक सीमित नहीं था। उन्होंने वैश्विक स्तर पर रहने वाले सभी हिंदुओं को दिवाली की शुभकामनाएं दीं, जो दक्षिण एशिया में धर्मों के बीच बेहतर संवाद और परस्पर सम्मान की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

दिवाली की भावना: अच्छाई, आशा और समानता का प्रतीक

शहबाज़ शरीफ़ ने दिवाली को “अंधेरे पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और निराशा पर आशा की जीत” बताया। उन्होंने आगे कहा:

“यह त्योहार हमें समाज की असहिष्णुता और असमानता जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए प्रेरित करता है।”

धर्म के पार: सबका साथ, सबकी शांति

अपने संदेश के अंत में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने यह अपील की:

“आइए हम मिलकर यह सुनिश्चित करें कि हर नागरिक — चाहे उसका धर्म या पृष्ठभूमि कुछ भी हो — शांति से रह सके और देश की तरक्की में भागीदार बने।”

इस बयान को सांप्रदायिक सौहार्द की दिशा में एक स्वागतयोग्य प्रयास माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब दक्षिण एशिया के देशों में धार्मिक तनाव समय-समय पर सामने आते हैं।

शुभकामनाएं सिर्फ रस्म नहीं, एक संकेत भी हैं

शहबाज़ शरीफ़ की दिवाली पर यह पहल ना सिर्फ कूटनीतिक तौर पर सधी हुई दिखती है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक स्वीकार्यता और समावेशिता की ओर बढ़ा हुआ कदम भी है।

हालांकि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन इस तरह के सार्वजनिक संदेशों से एक नरम सॉफ्ट पॉवर इमेज तैयार करने की कोशिश भी नज़र आती है।

जब रोशनी धर्म नहीं देखती, तो नेता क्यों देखें?

दिवाली, जो प्रकाश का पर्व है, जब पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री से भी शुभकामना का संदेश लेकर आती है, तो ये एक सिर्फ त्योहार नहीं, बल्कि एक उम्मीद की लौ बन जाती है – कि धर्म, सीमा और राजनीति से ऊपर इंसानियत की भी एक भाषा है।

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